अगर आप बैंक में एफडी या आरडी करते हैं, तो उस पर मिलने वाला ब्याज ही आपका फायदा होता है। लेकिन, अगर आप शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं तो शेयर की बढ़ने वाली कीमत तो आपका फायदा होता ही है, डिविडेंड से भी आप कमा सकते हैं यानी डबल फायदा। डिविडेंड क्या होता है और शेयर में पैसा लगाने वालों को कैसे मिलता है, ये सब इस लेख में आगे पढ़िये।
>डिविडेंड क्या होता है?
डिविडेंड का सीधा सा मतलब होता है लाभांश। यानी लाभ का अंश। दरअसल, शेयर बाजार में बहुत सारी कंपनियां ऐसी हैं, जो अपने मुनाफे में से कुछ हिस्सा कैश के रूप में अपने निवेशकों के बीच बांट देती है, इसी को लाभांश कहा जाता है। अगर कंपनी अपने मुनाफे में से कुछ हिस्सा शेयर के रूप में अपने निवेशकों के बीच बांटती है, तो उसे बोनस शेयर कहा जाता है।
डिविडेंड निवेशकों के साथ साथ बाजार के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। एक तरफ डिविडेंड से जहां निवेशकों को अतिरिक्त कमाई होती है, वहीं से इससे शेयर बाजार का सेंटीमेंट सकारात्मक बना रहता है। कई निवेशक तो ऐसे होते हैं, जिनका महीने का खर्च ही डिविडेंड से चलता है।
ऐसे निवेशक डिविडेंड देने वाली कंपनियों में पैसे लगाते हैं और उसे बेचे बिना उसमें सालों साल निवेशित रहते हैं। तो, आप भी अगर शेयर बाजार से डबल फायदा के साथ साथ नियमित इनकम चाहते हैं, तो डिविडेंड वाले शेयर आपके लिए सही विकल्प साबित होंगे।
एक उदाहरण से समझिये कि डिविडेंड वाले शेयर से डबल फायदा और नियमित कमाई का राज। मान लिया आपके पास कंपनी एक्स का शेयर है। आपने ₹ 100 प्रति शेयर के हिसाब से कुछ समय पहले ही 100 शेयर खरीदा था। यानी आपको कुल ₹10,000 (100x ₹ 100 ) चुकाना पड़ा। अब मान लिया कि कुछ समय के बाद आपके शेयर की कीमत बढ़कर ₹150 प्रति शेयर हो गई। तो, ऐसे में आपका कुल निवेश वैल्यू ₹15,000 (100x ₹ 150) हो जाएगा। मतलब अगर ऐसी स्थिति में आप अपने शेयर को बेचेंगे, तो आपको सीधे सीधे ₹5,000 (₹15,000-₹10,000) का मुनाफा होगा।
अब मान लिया कि जिस कंपनी का आपके पास शेयर है, उस कंपनी ने एक शेयर पर ₹5 डिविडेंड देने की घोषणा की और उस डिविडेंड के लिए अगर आप भी योग्य हों, तो डिविडेंड के तौर पर ₹500 (100X₹5) की कमाई होगी। तो यही है डिविडेंड वाले शेयर का डबल फायदा।
डिविडेंड की घोषणा करने वाली कंपनियां अपने योग्य निवेशकों के बचत खाते में सीधे सीधे डिविडेंड के पैसे का भुगतान कर देती है। भारत की कुछ लिस्टेड कंपनियां साल में एक बार डिविडेंड देने की घोषणा करती है, जबकि कुछ कंपनियां साल में चार-चार बार डिविडेंड देती हैं। सभी कंपनियां डिविडेंड की घोषणा करे ही, कोई जरूरी नहीं है।
>डिविडेंड के मामले में तारीखों का महत्व:
अगर आपके पास डिविडेंड वाले शेयर हैं, तो चार महत्वपूर्ण तारीखों पर आप जरूर नजर रखें। इसमें शामिल है घोषणा तारीख यानी एनाउंसमेंट डेट, पूर्व लाभांश तारीख यानी एक्स डेविडेंड डेट, रिकॉर्ड डेट और पेमेंट डेट। इसकी जानकारी आपको बीएसई और एनएसई की वेबसाइट से मिल जाएगी। वैसे कुछ बिजनेस चैनल, अखबार और मैगजीन भी इसकी जानकारी समय समय पर देते हैं। आप अपने शेयर ब्रोकर से भी इस बारे में बात कर सकते हैं।
कंपनी अनाउंसमेंट डेट के दिन घोषणा करती है कि वह कब, किन निवेशकों और कितने रुपए का डिविडेंड देगी।
एक्स डिविडेंड डेट वह तारीख होती है, जिसके बाद शेयर खरीदने वाला डिविडेंड के योग्य नहीं होता है। वहीं, रिकॉर्ड डेट पर जिन निवेशकों के डीमैट अकाउंट में कंपनी के शेयर होते हैं, उनके बचत खाते में पेमेंट डेट तक डिविडेंड का पैसा भुगतान कर दिया जाता है।
पेमेंट डेट यानी भुगतान की तारीख, वह तारीख होती है, जिन दिन योग्य निवेशकों के बचत खाते में डिविडेंड का पैसा ट्रांसफर कर दिया जाता है।
इसको एक उदाहरण से समझिये। माना आपके पास जिस कंपनी के शेयर हैं। उसने 2 जुलाई को डिविडेंड देने की घोषणा की। तो, 2 जुलाई अनाउंसमेंट डेट हो गई। कंपनी ने 20 जुलाई को इसके लिए रिकॉर्ड डेट तय की। यानी डिविडेंड पाने के लिए आपके डीमैट खाते में 20 जुलाई को शाम पांच बजे तक शेयर होना चाहिए। इस मामले में 19 जुलाई एक्स डिविडेंड डेट हो जाएगी। यानी आपको डिविडेंड का पात्र बनने के लिए 19 जुलाई को शेयर खरीदना होगा। अगर डिविडेंड के पैसे आपके बचत खाते में 25 जुलाई तक भुगतान कर दिया जाता है, तो वह पेमेंट डेट यानी भुगतान की तारीख हो जाएगी।
>भारत के कुछ डिविडेंड देने वाले शेयर:
कोल इंडिया, हिन्दुस्तान जिंक, ओएनजीसी, पीएफसी, आईटीसी, टीसीएस, इंफोसिस, एचसीएल टेक, एनएमडीसी, टाटा पॉवर, एनएचपीसी, सेल, गेल, नालको, डाबर, फाइनेंसियल टेक्नोलॉजी, डाबर और क्रांपटन ग्रीव्स जैसी भारतीय कंपनियां अपने निवेशकों को नियमित डिविडेंड देती है। डिविडेंड देने वालों में इसके अलावा भी बहुत सारी कंपनियां शामिल है।
>डिविडेंड वाले शेयर में निवेश के लाभ:
डिविडेंड यानी लाभांश एक तरह से कंपनियों द्वारा अपने वफादार निवेशकों को दिया जाने वाला बोनस है। डिविडेंड वाले स्टॉक ग्रोथ स्टॉक के मुकाबले कम उतार-चढ़ाव वाले होते हैं। यही वजह है कि ऐसे शेयर निवेशकों को ज्यादा जोखिम लिए बिना ही उनकी कमाई बढ़ाने में मदद करते हैं।
डिविडेंड वाले शेयर कम जोखिम लेने वाले और रिटायरमेंट के नजदीक पहुंच चुके निवेशकों को काफी लुभाते हैं। कंपनी के शेयर की कीमत चाहे ऊपर हो या नीचे, निवेशकों को तब तक डिविडेंड मिलता रहेगा, जब तक कंपनी उन्हें भुगतान करती रहेगी।
निवेशक लाभांश आय को उसी कंपनी में पुनर्निवेश कर सकते हैं, किसी दूसरी कंपनी के शेयर खरीद सकते हैं, किसी अपने को लाभांश आय उपहार में दे सकते हैं या फिर बचा सकते हैं या खर्च कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
कई निवेशकों के लिए, लाभांश आय उनके नियमित खर्चों के लिए बेहतर विकल्प हो सकती है। डिविडेंड वाले शेयर कम प्रभाव वाली नियमित आय देते हैं, जो आपके पैसे को बढ़ाने में मदद करता है। अपने लाभांश का पुनर्निवेश करके शेयर से अपने रिटर्न को लगभग दोगुना कर सकते हैं।
(डिस्क्लेमर: यह लेख जानकारी के लिए है। किसी भी शेयर में निवेश का फैसला अपने वित्तीय सलाहकार की सलाह या खुद से रिसर्च करके लें।)
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