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जो लोग शेयर बाजार में निवेश करते हैं, उनको मालूम है कि कारोबार के समय समुद्र की लहरों की तरह शेयरों की कीमत में उतार-चढ़ाव होता है। कभी आपने सोचा है कि शेयर की कीमत क्यों घटती या बढ़ती है? अगर इस सवाल का जवाबे जान जाएंगे, तो आपके लिए शेयर बाजार से कमाना आसान हो जाएगा। आपको इस लेख से इस सवाल का जवाब आपको मिल जाएगा।
शेयर की कीमत क्यों घटती-बढ़ती है?
शेयर की कीमत कम या ज्यादा या फिर जस की तस क्यों रहती है, ये जानने से पहले हमें ये जानना होगा कि शेयर कैसे काम करता है?
शेयर बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री होती है। शेयर में निश्चित रिटर्न नहीं मिलता है। कभी शेयर की कीमत काफी बढ़ जाती है, कभी काफी नीचे चली जाती है, कभी जस का तस रहती है। कह सकते हैं कि शेयर बाजार पैसा कमाने को लेकर काफी अस्थिर जगह है। शेयर बाजार में कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज के जरिये लोगों को अपनी स्वामित्व का कुछ हिस्सा जारी करती हैं। दूसरी ओर खुदरा और संस्थागत निवेशक और ट्रेडर दोनों ही कंपनी के शेयर खरीदते हैं, बेचते हैं या फिर अपने पास रखते हैं।
शेयर बाजार में शेयर खरीदने वालों और शेयर बेचने वालों के रूख से किसी भी शेयर की कीमत तय होती है। जानकारों का कहना है कि निवेशकों के बीच शेयरों की मांग और आपूर्ति से उस शेयर की कीमत घटती या बढ़ती है। आम तौर पर अगर किसी खास शेयर को खरीदने वाले ज्यादा होते हैं और बेचने वाले कम होते हैं, तो शेयर की कीमत में तेजी आती है। वहीं दूसरी तरफ, अगर किसी खास शेयर को बेचने वाले ज्यादा होते हैं और खरीदने वाले कम होते हैं, तो शेयर की कीमत घट जाती है। किसी भी शेयर की मांग और आपूर्ति मुख्य रूप से तीन कारकों – फंडामेंटल यानी मूलभूत, टेक्नीकल यानी तकनीकी और मार्केट सेंटिमेंट यानी बाजार धारण से प्रभावित होती है।
फंडामेंटल यानी मूलभूत: किसी भी शेयर को खरीदते-बेचते समय उस शेयर का मौजूदा मूल्यांकन काफी मायने रखता है। मूलभूत विश्लेषण करने वाले स्टॉक खरीदने या बेचने के लिए कंपनियों का बिज़नेस मॉडल, कीमत-आय, नकद प्रवाह, बैलेंस शीट, मैनेजमेंट क्वालिटी आदि का मूल्यांकन करके उस कंपनी की वैल्यू की जानकारी देते हैं। अगर किसी कंपनी का फंडामेंटल मजबूत रहता है, तो उस कंपनी के शेयरों की मांग बढ़ जाती है, जिसके कारण उस शेयर की कीमत बढ़ जाती है। वहीं, दूसरी तरफ किसी कंपनी का फंडामेंटल अगर कमजोर रहता है, तो उस कंपनी के शेयरों की मांग घट जाती है, जिसके कारण उस शेयर की कीमत भी कम हो जाती है।
वैल्यूएशन से शेयर की कीमत कैसे घटती – बढ़ती है, जान लीजिए। मान लीजिए कि किसी शेयर के बारे में कहा जा रहा है उस शेयर की मौजूदा कीमत फंडामेंटल स्तर पर कम है और भविष्य में उसकी कीमत बढ़ सकती है। ऐसे में निवेशकों में ये संदेश जाएगा कि वो शेयर बढ़ने वाला है। तो नए निवेशक ऐसे शेयर में पैसा लगाना पसंद करेंगे, जबकि जिनके पास पहले से शेयर है, वह और मुनाफे की उम्मीद में उसे बेचना नहीं चाहेंगे। मतलब साफ है कि उस शेयर को खरीदने वाले ज्यादा रहेंगे और बेचने वाले कम। ऐसे में मांग और आपूर्ति के नियम के हिसाब से उस शेयर की कीमत बढ़ेगी।
अब वैल्यूएशन से उसी शेयर की कीमत कैसे घट जाएगी, वह जान लीजिए। मान लीजिए कि उस शेयर के बारे में कहा जा रहा है उसकी मौजूदा कीमत फंडामेंटल स्तर पर ज्यादा है और भविष्य में उसकी कीमत घट सकती है। ऐसे में निवेशकों में ये संदेश जाएगा कि वो शेयर गिरने वाला है। तो नए निवेशक ऐसे शेयर में जहां पैसा नहीं लगाना चाहेंगे, वहीं जिनके पास पहले से शेयर है, वह उसे बेचकर मुनाफा कमाना चाहेंगे। मतलब साफ है कि उस शेयर को बेचने वाले ज्यादा रहेंगे और खरीदने वाले कम। ऐसे में मांग और आपूर्ति के नियम के हिसाब से उस शेयर की कीमत घटेगी।
टेक्नीकल यानी तकनीकी: बहुत सारे निवेशक मार्केट एक्सपर्ट के टेक्नीकल एनालिसिस के आधार पर किसी भी शेयर को खरीदने, बेचने या निवेशित रहने का फैसला करते हैं। तकनीकी विश्लेषण करने वाले तरह तरह के चार्ट के आधार पर किसी भी शेयर के मूवमेंट की भविष्यवाणी करते हैं। इस विश्लेषण के जरिये किसी भी शेयर के स्टॉक के भविष्य के प्रदर्शन का अनुमान लगाने के लिए चार्ट पर अलग अलग संकेतक का इस्तेमाल करते हैं और बाइंग, सेलिंग, स्टॉप लॉस, टार्गेट, सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल तैयार करते हैं। इससे शेयर खरीदना, बेचना या निवेशित रहना आसान हो जाता है।
तकनीकी विश्लेषण में अगर किसी शेयर को खरीदने की सलाह दी जाती है, तो उस शेयर की मांग बढ़ सकती है और ऐसे में उसकी कीमत बढ़ने की संभावना रहती है। उसी तरह, अगर किसी शेयर को बेचने की सलाह दी जाती है, तो उस शेयर को बेचने वाले बढ़ सकते हैं और ऐसे में उस शेयर की कीमत घट सकती है।
बाजार धारणा या मार्केट सेंटिमेंट: मार्केट सेंटिमेंट किसी भी शेयर या शेयर बाजार के प्रदर्शन और समाचार का मिश्रण है। जैसे मान लिया कि किसी कंपनी का शेयर बाजार पर अच्छा प्रदर्शन जारी है और इसी बीच उसके बारे में खबर आती है कि उस कंपनी के तिमाही नतीजे अनुमान से बेहतर आए हैं, ऐसे में उस शेयर के बढ़ने की संभावना रहती है।
किसी भी कंपनी या उस कंपनी की इंडस्ट्री को लेकर अच्छी खबर आती है, तो उस कंपनी के शेयर की कीमत बढ़ने की संभावना रहती है। दूसरी ओर, अगर किसी भी कंपनी या उस कंपनी की इंडस्ट्री को लेकर बुरी खबर आती है, तो उस कंपनी के शेयर की कीमत घटने की संभावना रहती है।
शेयरों की मांग और आपूर्ति को प्रभावित करने वाले कई दूसरे कारक भी हैं। जैसे, कंपनी से जुड़े कारक, इंडस्ट्री से जुड़े कारक, सरकार के फैसले, शेयर बाजार के रुझान, भू-राजनीतिक कारक, मैक्रोइकॉनॉमिक कारक, निवेशक की भावनाएं, जीडीपी या मुद्रास्फीति दर में परिवर्तन, ब्याज दर, आर्थिक नीतियों में परिवर्तन, अपस्फीति, वैश्विक शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव, प्राकृतिक आपदाएं आदि शामिल हो सकते हैं।
निष्कर्ष:
किसी भी शेयर की कीमत क्यों घटती है या बढ़ती है या जस की तस रहती है, इसके बारे में आपने जाना। अब आप इन कारकों के हिसाब से शेयर बाजार में निवेश के बारे में फैसला ले सकते हैं। ये कारक अल्पकालिक के साथ साथ दीर्घकालिक निवेशकों या इंट्रा-डे व्यापारियों के लिए भी सहायक हो सकते हैं।
(डिस्क्लेमर: ये लेख जानकारी के लिए है। इसे शेयर बाजार में निवेश की सलाह मत मानें। )
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