लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग: कैपिटल एप्रिसिएशन और डिविडेंड का महत्व

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निवेश सिर्फ बचत का साधन नहीं बल्कि धन बढ़ाने का जरिया भी बन चुका है। जब भी कोई व्यक्ति शेयर बाज़ार, म्यूचुअल फंड या अन्य साधनों में पैसा लगाता है, तो उसके मन में दो सवाल रहते हैं – यह निवेश आगे चलकर कितना बढ़ेगा और मुझे इस निवेश से कितनी नियमित आय मिलेगी?

इन्हीं दोनों सवालों का उत्तर है कैपिटल एप्रिसिएशन (Capital Appreciation) और डिविडेंड (Dividend)।

आइए समझते हैं कि लंबे समय तक निवेश करने से किस तरह अच्छा धन कमाया जा सकता है।

कैपिटल एप्रिसिएशन क्या है?

कैपिटल एप्रिसिएशन का मतलब है, आपके निवेश की मूल राशि (Principal) का समय के साथ बढ़ना।
उदाहरण के लिए:

  • अगर आपने किसी कंपनी का शेयर ₹100 का खरीदा और 5 साल बाद उसकी कीमत ₹250 हो गई, तो आपका निवेश ₹150 बढ़ गया। यही वृद्धि कैपिटल एप्रिसिएशन कहलाती है।

यह वृद्धि कई कारणों से होती है –

  • कंपनी का अच्छा प्रदर्शन
  • मुनाफे में इज़ाफा
  • अर्थव्यवस्था की प्रगति
  • निवेशकों का भरोसा

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग में असली ताकत कैपिटल एप्रिसिएशन की होती है, क्योंकि समय के साथ आपका निवेश कई गुना बढ़ सकता है।

डिविडेंड क्या है?

डिविडेंड का मतलब है, कंपनी द्वारा अपने मुनाफे का एक हिस्सा शेयरधारकों (Investors) में बांटना।

  • उदाहरण के लिए: अगर किसी कंपनी ने 100 रुपये का मुनाफा कमाया और उसने उसमें से 20 रुपये शेयरधारकों को बाँटे, तो यह 20 रुपये डिविडेंड कहलाएगा।

डिविडेंड आपके लिए नियमित आय (Passive Income) का साधन बनता है। यानी शेयर बेचे बिना भी आपको सालाना या तिमाही आधार पर पैसा मिलता रहेगा।

कैपिटल एप्रिसिएशन और डिविडेंड – दोनों क्यों ज़रूरी हैं?

1) कैपिटल एप्रिसिएशन आपको लंबी अवधि में बड़ा धन बनाकर देता है।

कैपिटल एप्रिसिएशन मतलब आपके खरीदे गए शेयर की कीमत समय के साथ बढ़ना। मान लीजिए आपने ₹100 का शेयर लिया और 10 साल बाद उसकी कीमत ₹500 हो गई। यह बढ़त आपकी संपत्ति बढ़ा देती है। इसलिए लंबे समय तक निवेश करने से निवेशक को अच्छा और बड़ा लाभ मिलता है।

2) डिविडेंड आपको बीच-बीच में नकद आय देता है।

डिविडेंड वह हिस्सा है जो कंपनी अपने मुनाफे से निवेशकों को देती है। यह नकद रूप में मिलता है और इसके लिए आपको शेयर बेचने की जरूरत नहीं होती। इससे आपको नियमित आमदनी मिलती रहती है। अगर आप डिविडेंड को दोबारा निवेश करें, तो आपका पैसा और तेजी से बढ़ेगा।

3) ऐसी कंपनियों के शेयर जो बढ़ते भी हैं और डिविडेंड भी देते हैं, निवेश को डबल फायदा देते हैं।

कुछ कंपनियाँ निवेशक को दो तरह का लाभ देती हैं – शेयर की कीमत बढ़ने से पूँजी बढ़ती है और डिविडेंड से नकद आय मिलती है। यह निवेश को ज्यादा सुरक्षित और फायदेमंद बनाता है। अगर डिविडेंड को फिर से निवेश किया जाए, तो आपका पैसा और तेजी से बढ़ सकता है।

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग से पैसा कैसे बनता है?

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग यानी किसी शेयर, म्यूचुअल फंड या अन्य साधन में 5–10 साल या उससे अधिक समय के लिए पैसा लगाना।

(i) चक्रवृद्धि (Compounding) का जादू

लॉन्ग टर्म निवेश में चक्रवृद्धि (compound interest) सबसे बड़ी ताकत है।

  • अगर आप ₹1 लाख निवेश करते हैं और सालाना 12% रिटर्न मिलता है, तो 20 साल में यह लगभग ₹10 लाख से ज़्यादा बन सकता है।
  • यही पैसा अगर 30 साल तक पड़ा रहे, तो यह 30 लाख से भी ज़्यादा हो सकता है।

(ii) बाज़ार की अस्थिरता से बचाव

शेयर बाज़ार कभी ऊपर जाता है, कभी नीचे। लेकिन लंबे समय तक टिके रहने पर उतार-चढ़ाव का असर कम हो जाता है और ग्रोथ का फायदा ज़्यादा मिलता है।

(iii) डिविडेंड री-इन्वेस्ट करना

अगर आप डिविडेंड को खर्च करने के बजाय फिर से निवेश करते हैं, तो आपका पैसा और तेजी से बढ़ता है।

उदाहरण से समझें

मान लीजिए आपने 2010 में किसी अच्छी कंपनी के शेयर खरीदे:

  • शेयर कीमत: ₹100
  • डिविडेंड: ₹5 प्रति शेयर (हर साल)

अब 2020 तक:

  • शेयर की कीमत बढ़कर ₹400 हो गई (कैपिटल एप्रिसिएशन)।
  • 10 सालों में आपको हर साल ₹5 यानी कुल ₹50 डिविडेंड मिला।

इस तरह कुल लाभ = ₹300 (कीमत बढ़ोतरी) + ₹50 (डिविडेंड) = ₹350 प्रति शेयर।

यानी लॉन्ग टर्म में आप कई गुना रिटर्न कमा सकते हैं।

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग के फायदे

1) बड़ा धन बनाने का मौका – समय के साथ कैपिटल एप्रिसिएशन।

लंबे समय में शेयर की कीमत बढ़ती है, जिससे आपका पैसा कई गुना होकर बड़ा धन बनाने का मौका देता है।

2) नियमित आय – डिविडेंड के रूप में।

कंपनी मुनाफे का हिस्सा डिविडेंड देती है, जिससे आपको शेयर बेचे बिना ही समय-समय पर नकद आमदनी होती रहती है।

3) टैक्स लाभ – लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स कम लगता है।

लंबे समय तक निवेश करने पर मुनाफे पर लगने वाला टैक्स कम होता है, जिससे आपका वास्तविक लाभ और बढ़ जाता है।

4) कम जोखिम – छोटे उतार-चढ़ाव का असर कम हो जाता है।

लंबे समय तक निवेश टिकाए रखने से बाजार के छोटे उतार-चढ़ाव का असर घटता है और जोखिम कम हो जाता है।

5) फाइनेंशियल सिक्योरिटी – रिटायरमेंट या भविष्य की ज़रूरतों के लिए धन इकट्ठा होता है।

लंबी अवधि का निवेश आपको भविष्य और रिटायरमेंट के लिए सुरक्षित धन देता है, जिससे वित्तीय स्थिरता बनी रहती है।

ध्यान देने योग्य बातें

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग सफल तभी होती है जब आप कुछ बातों का ध्यान रखें –

  • अच्छी कंपनियाँ चुनें – जिनकी कमाई लगातार बढ़ रही हो।
  • डिविडेंड हिस्ट्री देखें – कंपनी नियमित रूप से डिविडेंड देती है या नहीं।
  • धैर्य रखें – जल्दी बेचने की आदत से बचें।
  • डायवर्सिफिकेशन करें – सारा पैसा एक ही कंपनी में न लगाएँ।
  • फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें – सही निर्णय के लिए।

निष्कर्ष

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग से पैसा बनाने के दो बड़े स्तंभ हैं – कैपिटल एप्रिसिएशन और डिविडेंड।
जहाँ कैपिटल एप्रिसिएशन आपको भविष्य में बड़ा धन देता है, वहीं डिविडेंड आपको बीच-बीच में आय देता है। दोनों मिलकर आपके निवेश को मजबूत और स्थिर बनाते हैं।

इसलिए अगर आप वित्तीय स्वतंत्रता (Financial Freedom) पाना चाहते हैं, तो आज से ही लंबी अवधि का निवेश शुरू करें। धैर्य, सही चुनाव और समय का साथ आपको निश्चित रूप से अच्छा रिटर्न देगा।

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Yash Vora is a financial writer with the Informed InvestoRR team at Equentis. He has followed the stock markets right from his early college days. So, Yash has a keen eye for the big market movers. His clear and crisp writeups offer sharp insights on market moving stocks, fund flows, economic data and IPOs. When not looking at stocks, Yash loves a game of table tennis or chess.

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